वर्ष 1973 में गढ़वाल विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ हिंदी विभाग अस्तित्व में आया। विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों में इस विभाग की स्थापना का उद्देश्य हिंदी भाषा के विकास के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषा का अध्ययन या समृद्ध करना था। वर्तमान में, पाली, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं का भी यहाँ अध्ययन किया जाता है। विभाग में पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रमों में लोक साहित्य, हिंदी, नई कविता, लोक भाषा कुमाऊँनी और गढ़वाली जैसे आधुनिक विषयों के अलावा हिंदी साहित्य को यूजीसी पाठ्यक्रम के अनुरूप निर्धारित किया गया है। विभाग यूजीसी द्वारा प्रायोजित लघु अनुसंधान परियोजनाएं भी चला रहा है। 09 अनुसंधान विद्वानों ने 2011-12 के दौरान नेट परीक्षा उत्तीर्ण की है।
वर्ष 2011-12 के दौरान संकाय सदस्यों ने 09 शोध पत्र और 01 पुस्तक प्रकाशित की हैं और 05 सेमिनार / कार्यशालाओं / सम्मेलनों में भी भाग लिया है।