1973 में विश्वविद्यालय शुरू होने के बाद से यहां हिंदी विभाग की स्थापना की गई थी। इससे पहले विभाग स्नातक कक्षाएं चला रहा था। विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद छात्रों की संख्या के साथ संकायों के सदस्य बढ़ गए।
इस विभाग में हिंदी साहित्य पढ़ाने के अलावा लोकभाषा, कुमांउनी, गढ़वाली और प्रार्थनाओवंती हिंदी भी पढ़ाई जाती हैं। हिंदी विभाग की प्रोफेसर कुसुम मिश्रा ने ग्यारह अनुसंधान विद्वानों का सफलतापूर्वक मार्गदर्शन किया है जिन्होंने अपने मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण के तहत अपना डी.फिल जमा किया है। इस विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। सुरेंद्र जोशी अनुसंधान गतिविधियों में समान रूप से योगदान देते रहे हैं।
प्रोफ़ेसर कुसुम मिश्रा ने 2010 में प्रेमचंद और राष्ट्रसती नामक पुस्तक प्रकाशित की थी। सितंबर 2010 के महीने में जीवों द्वारा अलग-अलग प्रतियोगिताओं द्वारा हिंदी पखवाड़ा मनाया गया था।
विभाग में दो संकाय सदस्य प्रोफेसर कुसुम मिश्रा और डॉ सुरेंद्र जोशी, इस विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के लिए अच्छी संख्या में छात्रों ने यहां दाखिला लिया है।