संस्कृत-विभाग,हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय,श्रीनगर-गढ़वाल का संक्षिप्त परिचय
1973 में गढ़वाल विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही संस्कृत-विभाग की स्थापना भी हो गयी थी। विश्वविद्यालय की स्थापना के समय से ही संस्कृत- विभाग में स्नातक, स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम तथा शोध-कार्य चल रहा है। विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों(श्रीनगर, टिहरी, पौड़ी) में संस्कृत विषय के अध्ययन व शोध-कार्य की सुविधा उपलब्ध है।स्नातक तथा स्नातकोत्तर कक्षाओं में सेमेस्टर प्रणाली लागू है। बी0ए0 में सी0बी0सी0एस0 प्रणाली के अनुसार छःसेमेस्टरों में यू0जी0सी0 द्वारा निर्मित सी0बी0सी0 एस0 पाठ्यक्रम को कतिपय परिवर्तनों के साथ अपनाया गया है। छात्रों में कौशल विकास की दृष्टि से आयुर्वेद, इन्डियन थियेटर,पात४जल योगसूत्र,वास्तुशास्त्र जैसे उपयोगी पाठ्यक्रमों का अध्ययन छात्रों को करवाया जाता है। स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर पढ़ाये जाने वाले पाठ्यक्रम छात्रों में नैतिकता का विकास कर आर्दश समाज व राष्ट्र के निर्माण में सहायक हैं। शोध-छात्रों द्वारा संस्कृत की विभिन्न शाखाओं (काव्य, काव्यशास्त्र ,वेद, पुराण, उपनिषद, धर्मशास्त्र, दर्शनशास्त्र, व्याकरण, भाषाविज्ञान )से सम्बन्धित विषयों का चयन कर शोध कार्य किया जा रहा है
संस्कृत विभाग की स्थापना के पीछे स्थापनाकत्र्ताओं का व्यापक दृष्टिकोण रहा है, भारत के प्राचीन इतिहास, समाज, ज्ञान-विज्ञान, धर्म-दर्शन, आदि को गहनता से जानने का एकमात्र स्रोत संस्कृत भाषा ही है।इसमें वेद, पुराण, व्याकरण, धर्मशास्त्र, दर्शनशास्त्र ,शिल्पशास्त्र, युद्धशास्त्र, तन्त्रविद्या, चित्रकला, शब्दशास्त्र, नीतिशास्त्र, साहित्यशास्त्र तथा आयुर्वेद सम्बन्धी अनेक ग्रन्थों का प्रणयन हुआ है । हजारों वर्ष पूर्व लिखे गये इन्हीं ग्रन्थों के आधार पर वर्तमान ज्ञान गग अजस्र रूप में प्रवाहमान है।संस्कृत का ज्ञान आधुनिक युग में सभी विषयों के विद्धानों के लिए उपयोगी है। सर्वप्रथम प्रसिद्ध साहित्यकार एवं संस्कृत के मूर्धन्य विद्वान प्रो0 कृष्णकुमार संस्कृत विभाग के अध्यक्ष रहे ,शोध एवं साहित्य के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। अन्य निर्वतमान विभागाध्यक्षों व आचार्यो में दर्शनशास्त्र के प्रकाण्ड विद्वान प्रो0 रामप्रताप तिवारी, व्याकरण के विद्वान प्रो0 द्वारिका प्रसाद त्रिपाठी, साहित्य के विद्वान प्रो0 जयकृष्ण गोदियाल आदि ने विभाग को अपनी सेवायें प्रदान की।
विभाग के पौड़ी परिसर में सत्र 2012 में गढ़वाल में उपलब्ध पाण्डुलिपियों पर व सत्र 2014 में वेदों में पर्यावरण विषय को लेकर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजित की गयी । तथा सत्र 2018-19 में श्रीनगर -परिसर में संस्कृत संभाषण एक वर्षीय कोर्स का संचालन भी किया गया ।